बिहार में खेती को लेकर एक नया रुझान आ गया है, वह है तंबाकू की खेती। तंबाकू की खेती से किसानों को कम लागत, कम समय और ज्यादा लाभ होता है। इसके अतिरिक्त, तंबाकू की फसल को बेचने में भी कोई अड़चन नहीं होती है, क्योंकि व्यापारी फसल को किसान के खेत में ही उचित मूल्य पर खरीद लेते हैं, जिसके करना उनको बेचने का झंझट भी नहीं होता
इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि तंबाकू की खेती कैसे करें, इसके लिए कौन सी मिट्टी, जलवायु और तापमान उपयुक्त हैं, तंबाकू की विभिन्न प्रकार, और इससे कितना मुनाफा एक किसान ले सकता है।
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उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान
तंबाकू की खेती करने के लिए हल्की भुरभुरी या लाल दोमट मिट्टी आवश्यक है। इसमें जलभराव की समस्या से बचना महत्वपूर्ण है, क्योंकि जलभराव से तंबाकू के पौधे को नुकसान हो सकते हैं। इसके लिए भूमि का पीएच मान 6 से 8 के बीच होना चाहिए।
तंबाकू की खेती के लिए ठंडी और सूखी जलवायु उपयुक्त है। इसके लिए वर्षा की मात्रा 100 सेंटीमीटर से कम होनी चाहिए। तंबाकू के पौधों की अंकुरण, विकास और परिपक्वता के लिए विभिन्न तापमान आवश्यक है – अंकुरण के समय 15 डिग्री सेल्सियस, विकास के समय 20 डिग्री सेल्सियस, और परिपक्वता के समय 25 से 30 डिग्री सेल्सियस। तंबाकू की खेती को समुद्र स्तर से 1800 मीटर की ऊंचाई तक कर सकते हैं।
तंबाकू की किस्में
तंबाकू की विभिन्न किस्में होती हैं, जो निकोटिन की मात्रा, रंग, आकार और उपयोग के आधार पर भिन्न होती हैं। तंबाकू की किस्मों को मुख्य रूप से दो प्रजातियों में बांटा जा सकता है – निकोटियाना टैबैकम (Nicotiana tabacum) और निकोटियाना रुस्टिका (Nicotiana rustica)। निकोटियाना टैबैकम की किस्में सिगरेट, सीगार, हुक्का, और बीडी बनाने के लिए उपयोग की जाती हैं, जबकि निकोटियाना रुस्टिका की किस्में खैनी, जर्दा और पान मसाला बनाने के लिए।
निकोटियाना टैबैकम की कुछ प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं:
एमपी 220: बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उगाई जाने वाली किस्म है। इसका उत्पादन हेक्टेयर प्रति 800 से 1000 किलोग्राम होता है और इसकी पत्तियाँ लंबी और चौड़ी होती हैं। इसका निकोटीन स्तर 1.5% और 2% के बीच होता है।
टाइप 23: गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में उगाई जाने वाली किस्म है। इसका उत्पादन हेक्टेयर प्रति 1000 से 1200 किलोग्राम होता है और इसकी पत्तियाँ छोटी और गोल होती हैं। इसका निकोटीन स्तर 2.5% और 3% के बीच होता है।
तंबाकू व्यवसाय के लिए उपयुक्त किस्में
तंबाकू व्यापार में विभिन्न प्रकार की तंबाकू की किस्में होती हैं, जो उनके निकोटिन स्तर, रंग, आकार और उपयोग के आधार पर भिन्न होती हैं। तंबाकू की किस्में मुख्य रूप से दो प्रजातियों में विभाजित हो सकती हैं – निकोटियाना टैबैकम (Nicotiana tabacum) और निकोटियाना रुस्टिका (Nicotiana rustica)। निकोटियाना टैबैकम की किस्में सिगरेट, सिगार, हुक्का और बीडी बनाने के लिए उपयोग की जाती हैं, जबकि निकोटियाना रुस्टिका की किस्में खैनी, जर्दा और पान मसाला बनाने के लिए उपयोग की जाती हैं।
एमपी 220: इस किस्म को बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उगाया जाता है। इसके उत्पादन हेक्टेयर प्रति 800 से 1000 किलोग्राम के बीच होता है। इसकी पत्तियाँ लंबी और चौड़ी होती हैं और इसका निकोटिन स्तर 1.5 से 2 प्रतिशत होता है।
टाइप 23: इस किस्म को गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में उगाया जाता है। इसके उत्पादन हेक्टेयर प्रति 1000 से 1200 किलोग्राम के बीच होता है। इसकी पत्तियां छोटी और गोल होती हैं और इसका निकोटिन स्तर 2.5 से 3 प्रतिशत होता है।